सेक्शन 379 भारतीय दंड संहिता में स्थान पाने वाला एक अहम धारा है जो चोरी करने पर दण्ड तय करता है। इस लेख में, हम सीआईपीसी धारा 379 पर चर्चा करेंगे, जिसमें हम इस मामले की परिभाषा, दण्ड और साजा की जानकारी प्राप्त करेंगे।
धारा 379 में चोरी के प्रमाण को परिभाषित किया गया है। अगर कोई व्यक्ति बिना किसी की अनुमति के उसकी संपत्ति को उसके विरुद्ध चुराने का प्रयास करता है, तो ऐसी क्रिया धारा 379 के तहत चोरी के रूप में गिनाई जाएगी।
धारा 379 के उल्लंघन पर दंड का मानदंड सात साल तक की कैद या जुर्माने में से किसी भी एक हो सकता है। इसके अलावा, अधिकारी अदालत किस्मत प्राप्त की जा सकती है जिससे वर्षा की धारा 404 के तहत चोरी की वसुली हो सकती है।
चोरी की परिभाषा: धारा 378 और 379 के बीच अंतर। चोरी को गैर-चुराई की अपराधिक क्रिया के रूप में परिभाषित किया गया है।
संपत्ति का प्रारूप: सीआईपीसी धारा 379 के लिए आवश्यक है कि संपत्ति की चोरी किया गया हो, यानी किसी और की संपत्ति को चुराने की कोई कोशिश की गई हो।
दोषी और दोषी के साथ सहायक: संदिग्ध व्यक्ति को ही दोषी माना जाएगा, साथ ही उसके साथ सहायक भी हो सकते हैं और उनके विरुद्ध मामलों में कारवाई की जा सकती है।
हाँ, धारा 379 के तहत सज़ा पूर्व स्थिति के आधार पर जाती है। यदि संदिग्ध किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति को चुराने की कोशिश करता है, तो उसे धारा 379 के तहत चोरी का दोषी माना जाएगा।
सुरक्षित रहें: अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए घर की डोरज को और अच्छे सुरक्षा सुविधाएं बनाएं।
सामाजिक जागरूकता: चोरी जैसी अपराधिक क्रियाओं के खिलाफ सामाजिक जागरूकता फैलाने के लिए योगदान दें।
कठीन सजा की मांग: कठीन और सख्त सजा की मांग करके इस उल्लंघन को कम करने में मदद करें।
हां, सीआईपीसी धारा 379 के तहत चोरी करने पर दंड तय होता है।
सीआईपीसी धारा 379 के उल्लंघन पर सात साल तक की कैद या जुर्माने में से किसी एक हो सकता है।
धारा 379 के तहत, जो व्यक्ति संपत्ति की चोरी करने की कोशिश करता है, उसे संदिग्ध माना जाएगा।
हाँ, सीआईपीसी धारा 379 केवल संपत्ति की चोरी को कवर करती है।
हाँ, सीआईपीसी धारा 379 के तहत जांच अंतिम निर्णय से पहले जारी की जा सकती है।
हां, सीआईपीसी धारा 379 के तहत दोषी के खिलाफ अपील की जा सकती है।
हां, सीआईपीसी धारा 379 के तहत किसी को जमानत मिल सकती है यदि धारा के तहत कीवर की आज़ाज़ नहीं है।
हां, सीआईपीसी धारा 379 के तहत दोषी की सजा की मियाद बढ़ाई जा सकती है.
हां, सीआईपीसी धारा 379 के तहत दोषी मानने के लिए उसके इरादे का स्थायित्व साबित करना होगा।
क्या सीआईपीसी धारा 379 द्वारा दंडित किए जाने पर किसी की आर्थिक हानि का मुकदमा चलाया जा सकता है?
हां, सीआईपीसी धारा 379 द्वारा दंडित किए जाने पर किसी की आर्थिक हानि का मुकदमा चलाया जा सकता है।
इस लेख में, हमने सीआईपीसी धारा 379 पर विस्तृत जानकारी प्रदान की है और इसके महत्वपूर्ण पहलुओं पर चर्चा की है। चोरी के अपराध को समझने और उसके दण्ड को समझने के लिए यह धारा अत्यंत महत्वपूर्ण है और इसे समाज में अनुसरण किया जाना चाहिए।
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